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Unseen Poems for Class 10 Hindi with questions and Answers - अपठित काव्यांश

Unseen Poems for Class 10 Hindi अपठित काव्यांश

Studying unseen poems in class 10 is crucial for getting better grades in your exams. Reading these poems in Hindi can help you write improved answers and enhance your reading skills.Unseen poem class 10 is the most important part to score higher marks in your exam. .Reading the unseen poem class 10 in Hindi will help you to write better answers in your exam and improve your reading skill.Students who are planning to higher marks in class 10 Hindi poem should practice the Hindi poem for class 10 before appearing the CBSE board exam. 

Class 10 unseen poem in hindi with questions and answers

If you aim to achieve high marks in the 10th standard poem section of the CBSE board exam, it's essential to practice Hindi poems for class 10.

Solving these unseen poems is mandatory to secure good grades in your exams. To enhance your skills, we've given you unseen poems for class 10 along with answers.

While working on these poems, you'll come across multiple-choice questions (MCQs) to further test and improve your expertise. This resource is designed to help you become proficient and score well in your exams. Additionally, you can also practice unseen poems in English for class 10.

अपठित काव्यांश

अपठित काव्यांश क्या होता है?
वह काव्यांश, जिसका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है, अपठित काव्यांश कहलाता है। परीक्षा में इन काव्यांशों से विद्यार्थी की भावग्रहण-क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।अतः विद्यार्थी को अपने तर्क से उत्तर देना होता है । 

परीक्षा में आने वाले प्रश्न का स्वरूप
परीक्षा प्रश्न पत्र में विद्यार्थियों को अपठित काव्यांश दिया जाएगा। उस काव्यांश से संबंधित पाँच लघू उत्तरीय  प्रश्न पूछे जाएँगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा तथा कुल प्रश्न पाँच अंक के होंगे। जिसका उत्तर विद्यार्थी को अपने तर्क से उत्तर पुस्तिका मे लिखना होगा । 

अपठित काव्यांश हल करने की सरल विधि :

* सर्वप्रथम काव्यांश का दो-तीन बार पढिए  ताकि उसका अर्थ व भाव समझ मे या जाए ।
* तत्पश्चात् काव्यांश से संबंधित प्रश्नों को भी ध्यान से पढ़िए।
* प्रश्नों के पढ़ने के बाद काव्यांश का पुनः अध्ययन कीजिए ताकि प्रश्नों के उत्तर से संबंधित पंक्तियाँ चिन्हित जा सकें।
* प्रश्नों के उत्तर काव्यांश के आधार पर तर्क द्वारा दीजिए।
* प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट होने चाहिए।
* उत्तरों की भाषा सहज व सरल होनी चाहिए इससे ही आपके अच्छे अंक प्राप्त होंगे । 

Important Tips to score good marks in Unseen Poem class 10

1-Carefully read the whole poem two or three times to fully grasp its main theme.

2-Once you've read the question, underline the words in the given poem that are related to the correct answer.

3-Express your answer using simple and easy words, making sure to use your own language and not copy directly from the poem.

4-Remember to avoid using the same words as the poem in your answer. Create your response using your own unique wording.

5-When writing your answer, pay attention to grammar and punctuation to ensure your response is clear and correct.

6-Arrange your answers in separate paragraphs. Each answer should be presented in its own passage, and be sure to include the corresponding question number for clarity.


Unseen Poem class 10 with answers

01. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी,
हाथों पे झूलती है उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है
गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चो कि हंसी

नहला के छलके-छलके निर्मल जल से
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
जब घुटनियों में ले के है पिन्हाती कपडे|

दिवाली कि शाम घर पुते और सजे
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पै इक नर्म दमक
बच्चे के घरौंदे में जलती है दिए

आँगन में ठुनक रहा है जिदयाया है,
बालक तो हई पै ललचाया है
दर्पण उसे दे के कह रही है माँ
देख आईने में चाँद उतर आया है

रक्षाबंधन कि सुबह रस की पुतली
छायी है घटा गगन की हलकी हलकी
बिजली की तरह चमक रहे है लच्छे
भाई के है बांधती चमकती राखी

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) पद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए|
उत्तर– शीर्षक- स्नेहमयी माँ|

(ख) कवि ने यहाँ माता के बच्चे के प्रति स्नेह का क्या वर्णन किया है?
उत्तर– माँ अपने बच्चे को गोद में लेकर आँगन में खड़ी है| वह उसे बाँहों में झूला रही है| वह उससे हवा में उछलती है तो बच्चे की हंसी गूँज उठती है| वह साफ़ पानी से बच्चे को नहलाती है, उसके उलझे हुए बालों में कंघी करती है| जब वह बच्चे को घुटनो में लेकर कपडे पहनती है तो बच्चा उसे प्यार से देखता है|

(ग) चाँद लेने की जिद कौन कर रहा है?
उत्तर– बच्चा माँ से चादन लेने की जिद कर रहा है| वह घर के आँगन में ठुनक ठुनक क्र मचल रहा है| वह चाँद को हाथ में लेने का लालच कर रहा है| माँ अपने बच्चे को बहलाना चाहती है| वह बच्चे सामने एक शीशा रख देती है और कहती है- देख चाँद इस शीशे में उतर आया है|

(घ) ‘छलके-छलके’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर– ‘छलके-छलके’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है|


02. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

ज़िंदगी में जो कुछ है, जो भी है
सहर्ष स्वीकार है,
इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है
वह तुम्हे प्यारा है|
गरबीली गरीब यह, ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार- वैभव सब
दृढ़ता यह, भीतर कि सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक है
इसलिए कि पल पल में
जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है-
संवेदना तुम्हारा है|

जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है
जितना भी उंडेलता हूँ, भर भर फिर आता है
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है
भीरत वह, ऊपर तुम
मुसकाता चाँद ज्यूँ धरती पर रात भर
मुझ पर त्यूँ तुम्हारा ही खिलता वग चेहरा है|

सचमुच मुझे दंड दो कि भूलूँ मैं भूलूँ मैं
तुम्हे भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अंधकार अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर मे पा लूँ मैं
झेलूँ मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित|
रहने का रमणीय उजेला अब
सहा नहीं जाता है|
नहीं सहा जाता है|
ममता के बादल की मंडराती कोमलता-
भीतर पिरती है
कमजोर और अक्षम अब हो गयी है आत्मा यह
छटपटाती छाती को भवितव्यता डरती है
बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है|

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) प्रस्तुत पद्यांश का शीर्षक लिखिए|
उत्तर– पद्यांश का शीर्षक- संवेदना तुम्हार है|

(ख) ‘गरबीली गरीबी’ से कवी की कौन-सी विशेषता प्रकट हुई है?
उत्तर– कवि निर्धन है| उसे अपनी निर्धनता से कोई शिकायत नहीं है| लोगो के सामने स्वयं को निर्धन स्वीकार करने में भी उसको कोई शर्म नहीं महसूस होती| उसे तो अपनी गरीबी पर गर्व का अनुभव होता है| उसको इनमे अपना आत्मसम्मान दिखाई देता है| गरीबी को वह अपने जीवन की उपलब्धियों में गिनता है|

(ग) अपनी प्रेयसी के साथ कवी के रिश्ते की क्या विशेषता है?
उत्तर– अपनी प्रेयसी के साथ कवि का रिश्ता अत्यंत गहरा है| ‘जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है’- मे कवि ने अपने रिश्ते की गहराई का वर्णन किया है| कवि को स्वयं इसकी गहराई का पता नहीं है| उसे लगता है कि उसके ह्रदय में कोई मीठे पानी का सोता बह रहा है| उसमे से जितना प्यार का जल वह प्रियतम पर फैंकता है, वह उतना हे अधिक बढ़ता चला जाता है|

(घ) बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नहीं होती है- में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर– ‘बदलती सहलाती आत्मीयता बर्दाश्त नहीं होती है’- में मानवीकरण अलंकार है|

03. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

इतना कुछ है भरा विभव का कोष प्रकर्ति के भीतर,
निज इच्छित सुख भोग सहज ही पा सकते नारी नर|
सुब हो सकते तुष्ट, एक सा सुब सुख पा सकते है,
चाहे तो पल में धरती को स्वर्ग बना सकते है|
छिपा दिए सुब तत्व आवरण के नीचे ईश्वर ने,
संघर्षो से खोज निकला उन्हें उधमी नर ने |
ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में मनुज नहीं लाया है,
अपना सुख उसने अपने भुजबल से ही पाया है|
प्रकर्ति नहीं डरकर झुकती है कभी भाग्य के बल से,
सदा हारती वह मनुष्य के उद्धम से; श्रमजल से|
ब्रह्मा का अभिलेख पढ़ा करते निरुद्धमि प्राणी,
धोते वीर कु-अंक भाल का बहा भुवो से पानी|
भाग्यवाद आवरण पाप का और शास्त्र शोषण का,
जिससे रखता दबा एक जन भाग दूसरे जन का|
पूछो किसी भाग्यवादी से यदि विधि-अंक प्रबल है,
पद पर क्यों देती न स्वयं वसुधा निज रतन उगल है?
उपजाता क्यों विभव प्रकर्ति को खींच खींच वह जल से?
एक मनुज संचित करता है अर्थ आप के बल से,
और भोगता उसे दूसरा भाग्यवाद के छल से|
नर समाज का भाग्य एक है वह श्रम, वह भुज बल है,
जिसके सम्मुख झुकी हुई पृथ्वी विनीत नभ ताल है|
जिसने श्रम जल दिया, उसे पीछे मत रह जाने दो,
विजित प्रकर्ति से सबसे पहले उसको सुख पाने दो|

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) काव्यांश हेतु एक उपयुक्त शीर्षक दीजिये|
उत्तर– शीर्षक- ‘प्राकर्तिक वैभव एवं श्रम जल’|

(ख) प्रकर्ति मनुष्य से कब झुकती है? निरुद्मी प्राणी किसे कहा गया है?
उत्तर– प्रकर्ति भाग्य पर भरोसा करने वालो के सामने कभी नहीं झुकती| वह केवल मनुष्य के पराक्रम से हार मानती है| वह पसीना बहाने वालो के सामने झुकती है| जो मनुष्य परिश्रम नहीं करते और सब कुछ केवल भाग्य का नाम लेकर प्राप्त करना चाहते है, उनको निरुद्धमि प्राणी कहा गया है|

(ग) भाग्यवाद के बारे में कवी का क्या कहना है?
उत्तर- कवि ने भाग्यवाद को पाप पर पड़ा हुआ पर्दा माना है| आलसी और निकम्मे लोग अपनी कर्महीनता के पाप को भाग्य का नाम लेकर छिपाते है| भाग्य का नाम लेकर एक मनुष्ये दूसरे मनुष्ये का शोषण करता है| भाग्य के नाम पर ही एक मनुष्य दूसरे मनुष्य को दबा लेता है| मनुष्य का भाग्य केवल उसका परिश्रम तथा बाहो की शक्ति ही है|

(घ) ‘सींच सींच’ में कौन सा अलंकार है?
उत्तर– ‘सींच -सींच’ में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है|

04. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

उठे राष्ट्र तेरे कन्धों पर, बढ़े प्रगति के प्रांगण में।
पृथ्वी को रख दिया उठाकर, तूने नभ के आँगन में ॥
तेरे प्राणों के ज्वारों पर, लहराते हैं : देश सभी।
चाहे जिसे इधर कर दे तू, चाहे जिसे उधर क्षण में ।
मत झुक जाओ देख प्रभंजन, गिरि को देख न रुक जाओ।
और न जम्बुक-से मृगेन्द्र को, देख सहम कर लुक जाओ।
झुकना, रुकना, लुकना, ये सब कायर की सी बातें हैं।
बस तुम वीरों से निज को बढ़ने को उत्सुक पाओ ।
अपनी अविचल गति से चलकर नियतिचक्र की गति बदलो।
बढ़े चलो बस बढ़े चलो, हे युवक ! निरन्तर बढ़े चलो।
देश-धर्म-मर्यादा की रक्षा का तुम व्रत ले लो।
बढ़े चलो, तुम बढ़े चलो, हे युवक ! तुम अब बढ़े चलो।।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर– काव्यांश का उचित शीर्षक-‘देश के पराक्रमी नवयुवक।’

(ख) “पृथ्वी को रख दिया उठाकर, तूने नभ के आँगन में” कहने का क्या तात्पर्य है?
उत्तर– पृथ्वी को आकाश के आँगन में उठाकर रखने का आशय यह है कि युवकों की शक्ति से ही मातृभूमि का विकास और उत्थान होता है। उनके ही श्रम से वह उन्नति के शिखर पर चढ़ती है।

(ग) कायर की सी क्या बातें हैं?
उत्तर– कायर मनुष्य शत्रु के सामने झुक जाता है, उसका साहस के साथ सामना नहीं करता। वह उससे डरकर अपने कदम रोक देता है। वह उससे भयभीत होकर छिप जाता है। कायर की सी बातों का यही अर्थ है।

(घ) नियतिचक्र की गति कैसे बदल जाती है?
उत्तर– पराक्रमी पुरुष भाग्यवादी नहीं होता, वह दृढ़ता से अपने कर्तव्य-पथ पर बढ़ता है तथा भाग्य के अवरोधों को भी हटा देता है। वह अपने पुरुषत्व से भाग्य की रेखा को बदल देता है।

05. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मैं न बँधा हूँ देश-काल की जंग लगी जंजीर में,
मैं न खड़ा हूँ जाति-पाँति की ऊँची-नीची भीड़ में,
मेरा धर्म न कुछ स्याही-शब्दों का एक गुलाम है,
मैं बस कहता हूँ कि प्यार है तो घट-घट में राम है,
मुझसे तुम न कहो मंदिर-मस्जिद पर मैं सर टेक हूँ,
मेरा तो आराध्य आदमी देवालय हर द्वार है।
कह रहे कैसे भी, मुझको प्यारा यह इंसान है,
मुझको अपनी मानवता पर बहुत-बहुत अभिमान है,
अरे नहीं देवत्व, मुझे तो भाता है ममुजत्व ही,
और छोड़कर प्यार, नहीं स्वीकार मुझे अमरत्व भी,
मुझे सुनाओ तुम न स्वर्ग-सुख की सुकुमार कहानियाँ,
मेरी धरती सौ-सौ स्वर्गों से ज्यादा सुकुमार है।
मुझे मिली है प्यास विषमता का विष पीने के लिये,
मैं जन्मा हूँ नहीं स्वयं-हित, जग-हित जीने के लिये,
मुझे दी गई आग कि तम को भी मैं आग लगा सकें,
मेरे दर्दीले गीतों को मत पहनाओ हथकड़ी,
मेरा दर्द नहीं है मेरा, सबका हाहाकार है।
मैं सिखलाता हूँ कि जियो और जीने दो संसार को,
जितना ज्यादा बाँट सको तुम बाँटो अपने प्यार को,
हँसो इस तरह, हँसे तुम्हारे साथ दलित यह धूल भी,
चलो इस तरह, कुचले न जाये पग से कोई शूल भी,
सुख न तुम्हारा सुख केवल जग में भी उसका भाग है,
फूल डाल का पीछे, पहले उपवन का श्रृंगार है।
कोई नहीं पाया, मेरा घर सारा संसार है।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर– काव्यांश का उचित शीर्षक – ‘मानवता महान् धर्म।’

(ख) कवि का आराध्य कौन है?
उत्तर– कवि का आराध्य कोई देवी-देवता नहीं है। वह किसी मंदिर-मस्जिद में जाकर अपना माथी नहीं टिकाता। वह आदमी की पूजा करता है। हर घर उसके लिए मंदिर के समान है। वह मानव जाति से प्रेम करता है।

(ग) कवि का जन्म किसलिए हुआ है?
उत्तर– कवि का जन्म अपना हित करने के लिए नहीं हुआ है। उसने तो संसार की भलाई करने के लिए जन्म धारण किया है।

(घ) ‘घट-घट’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर– “घट-घट’ में पुनरुक्ति प्रकाशं अलंकार है।


06. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

सी-सी कर हेमंत कॅपे, तरु झरे, खिले वन !
कितना देती है अपने प्यारे पुत्रों को !
औ’ जब फिर से गाढ़ी ऊदी लालसा लिये,
नहीं समझ पाया था मैं उसके महत्त्व को !
गहरे कजरारे बादल बरसे धरती पर,
बचपन में छिः, स्वार्थ लोभ वश पैसे बोकर !
मैंने, कौतूहल वश, आँगन के कोने की
रत्न प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ !
गीली तह को यों ही उँगली से सहलाकर
इसमें सच्ची समता के दाने बोने हैं,
बीज सेम के दबा दिये मिट्टी के नीचे !
इसमें जन की क्षमता के दाने बोने हैं,
भू के अंचल में मणि माणिक बाँध दिये हों !
इसमें मानव ममता के दाने बोने हैं,
आह, समय पर उनमें कितनी फलियाँ टूट !
जिससे उगल सके फिर धूल सुनहली फसलें
कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,
मानवता की-जीवन श्रम से हँसें दिशाएँ।
यह धरती कितना देती है! धरती माता ।
हम जैसा बोऐंगे वैसा ही पायेंगे।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर– काव्यांश का उचित शीर्षक-‘रत्न प्रसविनी धरती।’

(ख) ‘सी-सी कर ………. धरती पर’ -इन पंक्तियों में कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है?
उत्तर– ‘सी-सी कर……धरती पर ‘पंक्तियों’ में कवि ने शीतऋतु, पतझड़, वसन्त तथा वर्षा ऋतुओं का वर्णन किया है। संक्षेप में कवि ने यहाँ छः ऋतुओं के वर्णन का प्रयास किया है।

(ग) आँगन में सेम के बीज बोकर कवि ने धरती माता के किस गुण के बारे जाना?
उत्तर– कवि ने अपने घर के आँगन की गीली मिट्टी में सेम के बीज बो दिए। बाद में उस सेम की बेल पर सेम की अनेक फलियाँ लगीं। इस तरह कवि को पता चला कि धरती रत्नों को पैदा करती है। हम धरती में जैसा बीज बोते हैं, हमें वैसा ही फल मिलता है।

(घ) कवि ने धरती पर किस प्रकार की फसल उगाने की प्रेरणा दी है? उसे क्यों कहा है-हम जैसा बोएँगे वैसा ही पायेंगे।’
उत्तर– कवि ने हमें प्रेरणा दी है कि हम धरती पर मानव-मानव के बीच सच्ची समानता और प्रेम की फसल उगाएँ। हम मानव की सक्षमता के बीज बोएँ। धरती पर हम बैर-घृणा के स्थान पर प्रेम पैदा करेंगे तो पूरी पृथ्वी मानव-प्रेम से भर जायेगी।


07. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

यह जीवन क्या है ? निर्झर है , मस्ती ही इसका पानी है।
सुख-दुख के दोनों तीरों से चल रहा , राह मनमानी है।
कब फूटा गिरी के अंतर से ? किस अंचल से उतरा नीचे ?
किस घाटी से बहकर आया समतल में अपने को खींचे ?
लहरें उठती है गिरती है , नाविक तट पर पछताता है।
तब योगन बढ़ता है आगे , निर्झर बढ़ता ही जाता है।
निर्झर कहता है बढ़े चलो। देखो मत पीछे मुड़कर।
यौवन कहता है बढ़े चलो। सोचो मत होगा क्या चलकर।
चलना है केवल चलना है। जीवन चलता ही रहता है।
रुक जाना है मर जाना ही , निर्झर यह झड़ कर कहता है।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि ने जीवन की तुलना ‘निर्झर’ से क्योंकि है ?
उत्तर– क्योंकि निर्झर में मस्ती है , इसके किनारे सुख व दुख रूप है।

(ख) ‘लहरें उठती है , गिरती है ,नाविक तट पर पछताता है ‘ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– लहरों का उठना व गिरना जीवन के अच्छे व बुरे पक्षों को दर्शाता है। जिससे हमारी प्रसन्नता व दुख जुड़े हुए हैं। ऐसे में साक्षी रूप से मनुष्य का अंतः करण पछतावा व्यक्त करता है।

(ग) ‘रुक जाना है मर जाना ही ‘ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर– गति ही जीवन है। झरने का पानी गतिमान होकर शुद्ध रहता है , तथा रुक कर वह सड़ जाता है। इसलिए रुकना मृत्यु को दर्शाता है।

(ग) सुख – दुख में कौन सा समास है ?
उत्तर– द्वंद समास

(घ) उपयुक्त काव्यांश में तट पर कौन पछताता है ?
उत्तर– नाविक तट पर पछताता है


08. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

हरि हैं राजनीति पढ़ि आए ।
समूची बात कहत मधुकर के ,समाचार सब पाए ।
इक अति चतुर हुतै पहिलें हीं , अब गुरुग्रंथ पढाए ।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी , जोग सँदेस पठाए ।
ऊधौ लोग भले आगे के , पर हित डोलत धाए ।
अब अपने मन फेर पाईहें , चलत जु हुते चुराए ।
तें क्यौं अनीति करें आपुन ,जे और अनीति छुड़ाए ।
राज धरम तो यहै ‘ सूर ‘ , जो प्रजा न जाहिं सताए ॥

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

( क ) सूरदास जी ने उक्त पद में राजधर्म क्या बताया है?
उत्तर– राजधर्म का अर्थ प्रजा की हर तरह से रक्षा करना , तथा नीति से राजधर्म का पालन करना।

( ख ) गोपियों ने कृष्ण की कौन-कौन सी विशेषताएं बताई है ?
उत्तर- चतुर है , राजनीति पढ़कर आए हुए हैं , उनकी बुद्धि बढ़ी हुई है। उनका मन चंचल रहता है।

(ग ) भले लोग कौन होते हैं ?
उत्तर– पहले के लोग भले होते थे , जो दूसरों की भलाई के लिए दौड़े चले जाते थे।


09. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या
अगणित बार धरा पर मैंने स्वर्ग बनाये ।
अम्बर में जितने तारे, उतने वर्षों से
मेरे पुरखों ने धरती का रूप सँवारा ।

धरती को सुंदरतम करने की ममता में
बिता चुका है कई पीढ़ियाँ, वंश हमारा।
और आगे आने वाली सदियों में
मेरे वंशज धरती का उद्धार करेंगे ।

इस प्यासी धरती के हित में ही लाया था
हिमगिरी चीर सुखद गंगा की निर्मल धारा ।
मैंने रेगिस्तानों की रेती धो – धोकर
वन्ध्या धरती पर भी स्वर्णिम पुष्प खिलाए ।
मैं मजदूर मुझे देवों की बस्ती से क्या?

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) काव्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक होगा –
(1) मज़दूर और देव
(2) मजदूर के कर्त्तव्य
(3) मजदूर की आत्मकथा
(4) धरती और मजदूर

उत्तर- (4)

(ख) मज़दूर क्या यह आशा नहीं करता –
(1) उसके वंशज धरती का उद्धार करेंगे
(2) वह देवों की बस्ती में बसेगा
(3) धरती का रूप सँवारेगा
(4) हिमगिरी की निर्मल धारा को लायेगा

उत्तर- (1)

(ग) मज़दूर हिमालय की गोद से गंगा निकाल कर लाया था –
(1) रेगिस्तान की मिटटी धोने के लिए
(2) बंजर जगहों में फूल खिलाने के लिए
(3) प्यासी धरती के हित के लिए
(4) धरा पर स्वर्ग बनाने के लिए

उत्तर- (3)

(घ) ‘बंध्या धरती पर भी स्वर्णिम पुष्प खिलाए’ से कवी का तात्पर्य है कि –
(1) बंधी हुई धरती पर सोने के फूल खिलाए
(2) बंजर धरती पर सोने के फूल खिलाए
(3) बंजर धरती को फसलों से हरा-भरा किया
(4) उर्वरा धरती पर सोने के फूल खिलाए

उत्तर- (3)

(ड़) अगणित का समानार्थी है –
(1) अज्ञीम
(2) गुणित
(3) अगणनीय
(4) गणनीय

उत्तर- (3)


10. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

ओ वसुधा के रहने वालों ! रहो सर्वदा प्यार से ||
नाम अलग है देश-देश के, पर वसुंधरा एक है |
फल – फूलों के रूप अलग पर भूमि उर्वरा एक है |
धरा बाँट कर हृदय न बाँटो, दू रहो संहार से ||
कभी न सोचो तुम अनाथ, एकाकी या निष्प्राण रे |
बूँद-बूँद करती है मिलकर, सागर का निर्माण रे |
लहर – लहर देती सन्देश यह, दूर क्षितिज के पर से ||
धर्म वही है जो करता है मानव का उद्धार रे |
धर्म नहीं वह जो की डाल दे, दिल में एक दरार रे |
करो न दूषित आँगन मन का, नफरत की दीवार से ||

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) धरती पुकार कर क्या कह रही है ?
(1) सबके बारे में जानो |
(2) मेरी बात सुन लिया करो
(3) सबकी खबर जान लिया करो
(4) सदा रहो प्यार से

उत्तर- (4)

(ख) धरती को बाँटने के बाद अब मनुष्य किसे बाँटने का प्रयास कर रहा है ?
(1) घरों को
(2) शहरों को
(3) दिलों को
(4) खेत – खलिहानों को

उत्तर- (3)

(ग) सच्चा धर्म कौन सा है?
(1) जो दिल में दरार डाल दे |
(2) जो मन के आँगन को दूषित कर दे |
(3) जो मानव का उद्धार करता हो |
(4) जो नफरत की दीवार खड़ी कर दे |

उत्तर- (3)

(घ) कौन सा कथन एकता प्रदर्शित करता है?
(1) सब देशों के नाम अलग हैं |
(2) सब फसलें अलग-अलग तरह की है |
(3) फल – फूलों के रूप अलग हैं |
(4) सब कुछ अलग होने पर भी धरती की उर्वरा एक है |

उत्तर- (4)

(ड़) कवि ने किससे दूर रहने का सन्देश दिया है?
(1) मनुष्य से
(2) संहार से
(3) धरती से
(4) प्यार से

उत्तर- (2)


11. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

है वीर वही सच्चा जग में, हर मुश्किल में मुस्काए जो ।
जीवन के काँटों में सुरभित सुमनों-सा खिल-खिल जाए जो ।।
दम तेज़ हवाओं का तोले, औ बाधाओं से टकराए
जब दुख की तेज़ धूप छाए, वो मेघों जैसा लहराए।
जीवन तरुवर जैसा जिसका, सबको फल-छाया देता है।
झोंका मलयानिल का बनकर, जो छू पीड़ा हर लेता है।
परहित में, परसेवा में ही सच जीवन को सुख पाए जो ।
है वीर वही सच्चा जग में, हर मुश्किल में मुस्काए जो ।।
मुश्किल हालातों में जिसका, साहस दुगुना हो जाता है।
अँधियारों को हरने के हित- जो उजियारे नित बोता है ।
जो चट्टानों से टकराकर, नित राह निकाला करता है।
तूफ़ाँ लेकर बाधा जिसके, आगे आने से डरता है ।
हिम्मत के मस्त तरानों से, कष्टों को धूल चटाए जो ।
है वीर वही सच्चा जग में, हर मुश्किल में मुस्काए जो ।।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) पद्यांश में सच्चा वीर किसे कहा गया है? अधिकतम चार विशेषताओं का उल्लेख करते हुए लिखिए।
उत्तर– पद्यांश के अनुसार हर मुश्किल परिस्थितियों में मुस्कराने वाला ही सच्चा वीर है । सच्चे वीर की निम्नलिखित चार विशेषताएँ हैं
1. जीवन के कष्ट रूपी कॉटों में भी पुष्प के समान खिलते रहते हैं।
2. वे विपत्ति रूपी आँधी से टकराने में भी घबराते नहीं हैं।
3. दुख रूपी धूप के छाने पर भी बादल के समान शीतल बने रहते हैं।
4. सच्चे वीर का जीवन उस वृक्ष के समान होता है जो सबको समान रूप से छाया और फल देता है।

(ख) जीवन तरूवर जैसा जिसका, सबको फल-छाया देता है।’ पंक्ति में जीवन के किस महान गुण की बात कही गई है?
उत्तर– जीवन तरुवर जैसा जिसका, सबको फल-छाया देता है।’ पंक्ति में जीवन के महान गुण उदारता, समानता आदि गुणों की बात कही गई

(ग) कष्टों व बाधाओं को धूल चटाने के लिए सच्चा वीर क्या करता है?
उत्तर– कष्टों व बाधाओं को धूल चटाने के लिए सच्चा वीर हिम्मत से उसका सामना करता है। उसके हिम्मत और शौर्य के सामने कष्ट और सभी बाधाएँ स्वत: परास्त हो जाती हैं।


12. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

क्या रोकेंगे प्रलय मेघ ये, क्या विद्युत-धन के नर्तन,
मुझे न साथी रोक सकेंगे, सागर के गर्जन-तर्जन।

मैं अविराम पथिक अलबेला रुके न मेरे कभी चरण,
शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने मित्र चयन।
मैं विपदाओं में मुसकाता नव आशा के दीप लिए
फिर मुझको क्या रोक सकेंगे जीवन के उत्थान-पतन,

मैं अटका कब, कब विचलित में, सतत डगर मेरी संबल
रोक सकी पगले कब मुझको यह युग की प्राचीर निबल

आँधी हो, ओले-वर्षा हों, राह सुपरिचित है मेरी,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे ये जग के खंडन-मंडन।

मुझे डरा पाए कब अंधड़, ज्वालामुखियों के कंपन,
मुझे पथिक कब रोक सके हैं अग्निशिखाओं के नर्तन।
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए,
फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) उपर्युक्त काव्यांश के आधार पर कवि के स्वभाव की किन्हीं दो प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर– कवि के स्वभाव की निम्नलिखित दो विशेषताएँ हैं-
(अ) गतिशीलता
(ब) साहस व संघर्षशीलता

(ख) कविता में आए मेघ, विदयुत, सागर की गर्जना और ज्वालामुखी किनके प्रतीक हैं? कवि ने उनका संयोजन यहाँ क्यों किया है?
उत्तर– मेघ, विद्युत, सागर की गर्जना व ज्वालामुखी जीवनपथ में आई बाधाओं के परिचायक है। कवि इनका संयोजन इसलिए करता है ताकि अपनी संघर्षशीलता व साहस को दर्शा सके।

(ग) शूलों के बदले फूलों का किया न मैंने कभी चयन-पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– इसका अर्थ है कि कवि ने हमेशा चुनौतियों से पूर्ण कठिन मार्ग चुना है। वह सुख-सुविधा पूर्ण जीवन नहीं जीना चाहता।

(घ) ‘युग की प्राचीर’ से क्या तात्पर्य है? उसे कमजोर क्यों बताया गया है?
उत्तर– इसका अर्थ है. समय की बाधाएँ। कवि कहता है कि संकल्पवान व्यक्ति बाधाओं व संकटों से घबराता नहीं है। वह उनसे मुकाबला कर उन पर विजय पा लेता है।

(ड) किन पंक्तियों का आशय है कि तन मन में दृढनिश्चय का नशा हो तो जीवन मार्ग में बढ़ते रहने से कोई नहीं रोक सकता?
उत्तर– ये पंक्तियाँ हैं-
मैं बढ़ता अविराम निरंतर तन-मन में उन्माद लिए, फिर मुझको क्या डरा सकेंगे, ये बादल-विद्युत नर्तन।


13. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

मुक्त करो नारी को, मानव।
चिर बदिनि नारी को,
युग-युग की बर्बर कारा से
जननि, सखी, प्यारी को!
छिन्न करो सब स्वर्ण-पाश
उसके कोमल तन-मन के
वे आभूषण नहीं, दाम
उसके बंदी जीवन के
उसे मानवी का गौरव दे
पूर्ण सत्व दो नूतन,उसका मुख जग का प्रकाश हो,
उठे अंध अवगुंठन।
मुक्त करो जीवन-संगिनि को,
जननि देवि को आदूत
जगजीवन में मानव के संग,
हो मानवी प्रतिष्ठित!
प्रेम स्वर्ग हो धरा, मधुर
नारी महिमा से मंडित.
नारी-मुख की नव किरणों से
युग-प्रभाव हो ज्योतित!

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) कवि नारी के आभूषणों को उसके अलंकरण के साधन न मानकर उन्हें किन रूपों में देख रहा है।
उत्तर– कवि नारी के आभूषणों को उसके अलंकरण के साधन न मानकर उन्हें जीवन का बंधन मानता हैं।

(ख) वह नारी को किन दो गरिमाओं से मंडित करा रहा है और क्या कामना कर रहा है?
उत्तर– कवि नारी को मानवी तथा मातृत्व की गरिमाओं से मंडित कर रहा है। वह कामना करता है कि उसे पुरुष के समान दर्जा मिले।

(ग) वह मुक्त नारी को किन-किन रूपों में प्रतिष्ठित करना चाहता है?
उत्तर– कवि मुक्त नारी को मानवी, युग को प्रकाश देने वाली आदि रूपों में प्रतिष्ठित करना चाहता है।

(घ) आशय स्पष्ट कीजिए-
नारी मुख की नव किरणों से
युग प्रभात हो ज्योतितः
उत्तर– इसका अर्थ है कि नारी के नए रूप से नए युग का प्रभात प्रकाशित हो तथा वह अपने कार्यों से समाज को दिशा दे।


14. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

चिड़िया को लाख समझाओ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बड़ी है, निर्मम है.
वहाँ हवा में उसे
बाहर दाने का टोटा है
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर है
यहाँ निद्रवर कंठ-स्वर है।
फिर भी चिड़िया मुक्ति का गाना गाएगी,

अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,
पर पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी
पिंजड़े से जितना अंग निकल सकेगा निकालेगी,
हर सू जोर लगाएगी
और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) पिंजड़े के बाहर का संसार निर्मम कैसे है?
उत्तर– पिंजड़े के बाहर संसार हमेशा कमजोर को सताने की कोशिश में रहता है। यहाँ सदैव संघर्ष रहता है। इस कारण वह निर्मम है।

(ख) पिंजड़े के भीतर चिड़िया को क्या-क्या सुविधाएँ उपलब्ध हैं?
उत्तर– पिंजड़े के भीतर चिड़िया को पानी, अनाज, आवास तथा सुरक्षा उपलब्ध है।

(ग) कवि चिड़िया को स्वतंत्र जगत् की किन वास्तविकताओं से अवगत कराना चाहता है?
उत्तर– कवि बताना चाहता है कि बाहर जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। भोजन, आवास व सुरक्षा के लिए हर समय मेहनत करनी होती है।

(घ) बाहर सुखों का अभाव और प्राणों का संकट होने पर भी चिड़िया मुक्ति ही क्यों चाहती है?
उत्तर– बाहर सुखों का अभाव व प्राणों का संकट होने पर भी चिड़िया मुक्ति चाहती है, क्योंकि वह आजाद जीवन जीना पसंद करती है।

(ङ) कविता का संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– इस कविता में कवि ने स्वाधीनता के महत्व को समझाया है। मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास आजाद परिवेश में हो सकता है।


15. निम्नलिखित अपठित काव्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों का उत्तर दें :

कोई खंडित, कोई कुंठित,
कृष बाहु, पसलियां रेखांकित,
टहनी से टांगे, बढ़ा पेट,
टेढ़े मेढ़े, विकलांग घृणित!
विज्ञान चिकित्सा से वंचित,
ये नहीं धात्रियों से रक्षित,
ज्यों स्वास्थ्य सेज हो, ये सुख से,
लौटते धूल में चिर परिचित!
पशुओं सी भीत मुक्त चितवन,
प्राकृतिक स्फूर्ति से प्रेरित मन,
तृण तरुओं से उग-बढ़, झर-गिर,
ये ढोते जीवन क्रम के क्षण!
कुल मान ना करना इन्हें वहन,
चेतना ज्ञान से नहीं गहन,
जगजीवन धारा में बहते ये मूर्ख पंगु बालू के कण!

उपरोक्त काव्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर लिखिए-

(क) काव्यांश आपके अनुसार किस विषय पर लिखा गया है?
(1) गांव के बच्चों में कुपोषण की समस्या
(2) गांव के बच्चों में चेतना ज्ञान का अभाव
(3) गांवों में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव
(4) गांव के बच्चों की दयनीय दशा का वर्णन

उत्तर- (4)

(ख) दूसरे पद में कवि कह रहा है कि
(1) गांव में विज्ञान की शिक्षा नहीं दी जा रही है
(2) गांव में शिशु जन्म हेतु पर्याप्त दाइयां नहीं है
(3) गांव में बच्चे स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर शारीरिक व्यायाम कर रहे हैं
(4) गांव में बच्चे अपने मित्रों के साथ धूल में कुश्ती जैसे खेल खेल रहे हैं

उत्तर- (2)

(ग) गाँव के बच्चों की स्थिति कैसी है
(1) कुपोषित, खिन्न तथा अशिक्षित हैं।
(2) क्षीणकाय , किंतु कुल कुल के मान का ध्यान करने वाले हैं।
(3) पशुओं की तरह प्राकृतिक वातावरण में रहते हुए पूर्ति से भरे हुए हैं।
(4) पशुओं की तरह बलिष्ठ परंतु असहाय व मूर्ख है।

उत्तर- (1)

(घ) काव्यांश में कवि का रवैया कैसा प्रतीत होता है?
(1) वे बच्चों की दशा के विषय में व्यंग्य कर मनोरंजन करना चाह रहे हैं।
(2) वह बच्चों की दशा की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।
(3) वह तटस्थ रहकर बच्चों की शारीरिक व मानसिक दशा का वर्णन कर रहे हैं।
(4) वे बच्चों की शारीरिक व मानसिक दशा से संतुष्ट प्रतीत होते हैं।

उत्तर- (2)

Students can find different types of Hindi poem for class 10 CBSE board exam preparation. At the below of every poem, we have also mentioned you with answers to unseen poem class 10 given above.

So, first, solve the above-unseen poem class 10 yourself and then compare your answer with their original answer following this way you can boostup your performance. Now, You can easily obtain higher marks in the unseen poem class 10.

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Conclusion : In conclusion, exploring and interpreting unseen poems not only sharpens our understanding of language but also show the beauty of poetry. As Class 10 students engage with these literary pieces, they not only enhance their vocabulary and comprehension skills but also faster a deeper appreciation for the diverse forms of expression found in poetry. The journey through the unseen poem has allowed students to decipher the nuances of language, encouraging a more profound connection with the world of words. By continuing to delve into the rich tapestry of poetry, these young minds are poised to develop a lifelong love for literature and the endless possibilities it holds. As we conclude our exploration of this unseen poem, may the students carry forward this enthusiasm, allowing it to bloom into a lifelong passion for the written word.

Frequently Asked Questions-Unseen Poem class 10(FAQ)

1. How will I prepare myself to solve the unseen poem class 10 easily?

Answer : In the Exam, you will be given a part of any poem, and you need to answer them to score good marks in your exam. Firstly, understand what question is being asked. Then, go to the passage and try to find the clue for your question. Read all the alternatives very carefully. Do not write the answer until you feel that you have selected the correct answer.

2. What precaution should we take before writing the answer in an unseen poem class 10?

Answer : Do not try to write the answer without reading the poem. Read all the alternatives very carefully, don’t write the answer until you feel that you have selected the correct answer. Check your all answers to avoid any mistakes.

3. How do we score high marks in unseen poem class 10?

Answer : Study the question before reading the poem. After that, analyze the poem and highlight the word which you find related to the question and a line before that word and one after that. With this strategy, you will be able to solve most questions and score higher marks in your exam.

4. What is the difference between seen and unseen poem class 10?

Answer : A Seen poem is a poem which you have already read in your textbook and know what is in it. While in the unseen poem, you are not familiar with the poem and don’t know what is in it.

5. How do I manage time in unseen poem class 10?

Answer : Take a clock and set the time in which you should just complete all questions. But you can do this only at your home, so more practice. If you can’t complete the poem in that time, don’t worry, find that part in which you take a long time to solve the question. By doing this, you can easily manage your time to solve the question of the passage.

6. What precaution should we take before writing the answer in an unseen poem class 10?

Answer : Do not try to write the answer without reading the poem. Read all the alternatives very carefully, don’t write the answer until you feel that you have selected the correct answer. Check your all answers to avoid any mistakes.

7. How do we score high marks in unseen poem class 10?

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8. What is the difference between seen and unseen poem class 10?

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